“आख़िरी कॉल” — भाग 2

इंस्पेक्टर अर्जुन अब तक की बातें दिमाग में दोहरा रहा था। सीमा के मोबाइल में आख़िरी कॉल 12:08 AM पर आई थी — नंबर सेव नहीं था, लेकिन लोकेशन ट्रेस करने पर पता चला कि कॉल शहर के पुराने रेलवे यार्ड से की गई थी।
रेलवे यार्ड… रात में सुनसान, टूटी पटरियां, जंग लगे डिब्बे और चारों ओर अंधेरा।
अर्जुन ने अपने असिस्टेंट रवि को आदेश दिया —
“रात में ही चलना पड़ेगा, वरना सुबह तक सब साफ कर देंगे।”
रेलवे यार्ड की छानबीन
करीब 1:30 AM पर दोनों यार्ड में दाखिल हुए। हवा में जंग और ग्रीस की गंध थी। एक पुराने डिब्बे के पास मिट्टी गीली थी — जैसे अभी-अभी किसी ने खुदाई की हो। अर्जुन झुककर देखने लगा। मिट्टी में जूतों के निशान थे — और एक आधा जला हुआ कागज़।
कागज़ पर धुंधले अक्षर दिख रहे थे — “अगर तुमने पुलिस को बताया…” आगे के शब्द जल चुके थे।
रवि ने धीरे से कहा —
“सर, ये धमकी का लेटर लगता है।”
अर्जुन के दिमाग में तस्वीर साफ होने लगी — सीमा को धमकी दी गई थी, और शायद उसी रात बुलाकर…
एक और सुराग
जैसे ही वे लौटने लगे, अर्जुन की नज़र डिब्बे के नीचे फंसी एक काली हील वाली सैंडल पर पड़ी। वो नई थी, लेकिन हील टूटी हुई थी और किनारों पर खून के निशान थे।
“ये सीमा की नहीं हो सकती, उसके घर में दोनों सैंडल मौजूद हैं,” अर्जुन बुदबुदाया।
मतलब, यहाँ कोई और भी थी… शायद महिला… या किसी ने औरत का रूप बनाकर?
मोबाइल डेटा का राज़
अगले दिन मोबाइल कॉल डिटेल्स में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई — आखिरी कॉल एक पुराने PCO से नहीं बल्कि एक इंटरनेट कॉलिंग ऐप से की गई थी, और ID किसी “Vikram_89” के नाम पर थी।
अर्जुन ने तुरंत साइबर टीम से लोकेशन ट्रेस करवाई। लोकेशन आई — शहर का एक छोटा साइबर कैफ़े।
साइबर कैफ़े में
कैफ़े का मालिक पहले डरा-सहमा था, लेकिन जब अर्जुन ने सख्ती दिखाई तो उसने CCTV फुटेज दिखा दी।
वीडियो में एक आदमी दिखा — लंबा, पतला, चेहरे पर नकली दाढ़ी, काले जैकेट में। वो मोबाइल से कॉल करता है, फिर कंप्यूटर पर कुछ टाइप करता है और जाते-जाते CCTV की ओर देखता है… और मुस्कुराता है।
अर्जुन का दिल एक पल को थम गया — वो मुस्कान उसने पहले देखी थी।
पुराना केस जुड़ता है
छह महीने पहले अर्जुन ने एक किडनैपिंग केस सॉल्व किया था, जिसमें एक संदिग्ध फरार हो गया था — विक्रम सावंत। उसकी पहचान का एक सिग्नेचर था — कैमरे में देखते हुए हल्की मुस्कान।
अर्जुन ने फाइल मंगाई और तस्वीर मिलाई — वही था।
मतलब विक्रम वापस आया है, और इस बार सीधे खेल पुलिस के खिलाफ है।
रात का पीछा
अर्जुन ने एक नकली ID बनाकर विक्रम को ऑनलाइन ट्रैक किया। चैट हिस्ट्री में पता चला कि विक्रम किसी “Meena” नाम की लड़की से मिलने की प्लानिंग कर रहा है। जगह? पुराना हिल व्यू होटल — जो अब बंद पड़ा है।
अर्जुन और रवि बिना समय गंवाए निकल पड़े।
होटल के बाहर अंधेरा था, अंदर टूटी खिड़कियों से हवा सिटी जैसी आवाज कर रही थी। अचानक ऊपर से किसी महिला की चीख आई।
अर्जुन पिस्टल निकालकर दौड़ा।
मकान की दूसरी मंज़िल
दूसरी मंज़िल पर विक्रम एक महिला का गला दबा रहा था। अर्जुन ने चिल्लाकर कहा — “रुको!”
विक्रम ने मुड़कर वही मुस्कान दी और महिला को छोड़कर खिड़की से कूद गया। अर्जुन ने पीछा किया, लेकिन नीचे एक गाड़ी पहले से खड़ी थी — विक्रम उसमें बैठकर अंधेरे में गुम हो गया।
महिला कांप रही थी। उसने बताया —
“मेरा नाम मीनाक्षी है… उसने मुझे ब्लैकमेल किया था… कहा कि अगर नहीं आई तो मेरा वीडियो सबको भेज देगा।”
अर्जुन ने पूछा — “वीडियो?”
मीनाक्षी ने सिर हिलाया — “वो वीडियो सीमा का है…”
भाग 2 का अंत
अब सीमा की मौत का कनेक्शन ब्लैकमेल से जुड़ चुका था, विक्रम का नाम साफ हो चुका था, लेकिन असली सवाल अभी भी बाकी था —
सीमा का वीडियो कहाँ है?
और विक्रम क्यों इस केस को इतना पर्सनल बना रहा है?