एकतरफा प्यार की कहानी

कहानी के बारे में

यह एकतरफा प्यार की कहानी है जहाँ गाँव का लड़का शहर में पढ़ाई के दौरान प्यार करता है, पर किस्मत उसका साथ नहीं देती।

गाँव से शहर की शुरुआत

Nikhil का जन्म बिहार के एक छोटे गाँव में हुआ था। उसके पिता किसान थे और माँ गृहिणी। परिवार साधारण था लेकिन उनके सपने बड़े थे। गाँव की गलियों में खेलते हुए उसने किताबों से गहरा रिश्ता बना लिया था। स्कूल के हर शिक्षक उसे पढ़ाई में तेज मानते थे।

हालांकि, उसका दिल हमेशा गाँव की सादगी में बसता था। खेतों की हरियाली, पगडंडी पर दौड़ते बच्चे और तालाब का पानी उसे सुकून देता था। फिर भी, उसके पिता चाहते थे कि वह आगे बढ़े।

आखिरकार, जब उसने बारहवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की, तो उसे शहर के कॉलेज में दाख़िला मिल गया। उस दिन परिवार के चेहरे पर गर्व और आँखों में आँसू थे।

शहर जाना आसान नहीं था। पहली बार वह गाँव से इतनी दूर जा रहा था। लेकिन दिल में उत्साह था क्योंकि यह उसकी नई दुनिया की शुरुआत थी।

कॉलेज की इमारतें देखकर Nikhil दंग रह गया। ऊँची इमारतें, भीड़, कैफ़े और लाइब्रेरी – सब नया और चमकदार था। गाँव से आया यह लड़का अब धीरे-धीरे शहर की धड़कनों को महसूस करने लगा।


कॉलेज और नई दुनिया

पहले दिन ही Nikhil ने महसूस किया कि यहाँ सब कुछ अलग है। लोग फैशन पर ध्यान देते थे। उनकी भाषा भी अंग्रेज़ी से भरी होती थी। हालांकि, वह हिंदी में ही सहज था लेकिन धीरे-धीरे खुद को ढालने लगा।

क्लास में वह हमेशा आगे बैठता और ध्यान से पढ़ाई करता। प्रोफेसर उसकी लगन की तारीफ़ करते। लेकिन दोस्ती का दायरा बहुत छोटा था।

फिर भी, कॉलेज की लाइब्रेरी और डिबेट क्लब उसकी पसंदीदा जगह बन गए। वहाँ बैठकर वह किताबों में डूब जाता।

इसी दौरान, उसकी मुलाक़ात हुई Ananya से।


Ananya से मुलाक़ात

Ananya दिल्ली की रहने वाली थी। उसके बाल लंबे और आँखें गहरी थीं। जब वह मुस्कुराती तो चेहरा खिल उठता।

Nikhil पहली बार उसे कैंपस की लाइब्रेरी में मिला। दोनों एक ही किताब लेने पहुँचे। उस छोटे से पल में दोस्ती की शुरुआत हो गई।

धीरे-धीरे दोनों की बातें बढ़ीं। Ananya खुलकर हँसती थी और हर मुद्दे पर अपनी राय रखती थी। Nikhil उसकी आत्मविश्वास भरी बातों से प्रभावित होता चला गया।

वे साथ बैठकर पढ़ाई करते, कैंटीन में चाय पीते और प्रोजेक्ट्स पर काम करते। Ananya के लिए यह बस दोस्ती थी। लेकिन Nikhil के दिल में गहरी भावनाएँ जन्म लेने लगीं।

अब हर दिन उसे Ananya का इंतजार रहता। उसकी हँसी, उसकी बातें, और उसकी मौजूदगी – सब Nikhil की दुनिया बन गई थी।

दरअसल, यह उसकी एकतरफा प्यार की कहानी की शुरुआत थी।


इज़हार और इंकार

कई महीनों तक Nikhil अपने दिल की बात छुपाए रहा। लेकिन जब भी Ananya किसी और लड़के से हँसकर बातें करती, उसका दिल टूटता।

हालांकि वह कुछ कहता नहीं था, पर अंदर ही अंदर जलता रहता। आखिरकार, एक शाम उसने साहस जुटाया।

कैंपस के गार्डन में उसने Ananya को अपने दिल की बात बताई। आवाज काँप रही थी, पर आँखों में सच्चाई थी।

उसने कहा – “Ananya, मैं तुम्हें सिर्फ़ दोस्त नहीं मानता। मैं तुमसे प्यार करता हूँ।”

कुछ पल की चुप्पी के बाद Ananya ने नरमी से जवाब दिया।
“Nikhil, तुम मेरे अच्छे दोस्त हो। लेकिन मैं तुम्हें सिर्फ़ दोस्त की तरह ही देखती हूँ।”

वह मुस्कुराई लेकिन Nikhil की आँखों में आँसू थे। यह उसके लिए किसी तूफान से कम नहीं था।


अकेलापन और डूबना

उस रात Nikhil बिस्तर पर बहुत रोया। उसे पहली बार महसूस हुआ कि एकतरफा प्यार की कहानी कितनी दर्दनाक होती है।

अगले दिनों में उसने शराब पीनी शुरू कर दी। ग़म भूलाने के लिए वह दोस्तों से छुपकर नशा करने लगा।

पढ़ाई पर असर पड़ा। परीक्षा में उसके अंक गिरने लगे। प्रोफेसर नाराज़ हुए और घरवालों को चिंता होने लगी।

क्लास में वह अब Ananya से दूर बैठता। कॉलेज की गलियों में भी उससे नज़रें चुराता।

Ananya ने यह बदलाव महसूस किया। लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि दोस्ती का रिश्ता इतना क्यों बदल गया।

हालांकि, उसकी रूममेट ने एक दिन उससे कहा –
“तुम दोनों पहले बहुत करीब थे। Nikhil तुम्हें बहुत मानता है।”

उस पल Ananya को भी अजीब सा एहसास हुआ। उसे याद आने लगे वे पल जब Nikhil हर वक्त उसके साथ रहता था।

दरअसल, यही वह मोड़ था जहाँ से उनकी ज़िंदगी बदलने वाली थी।

दूरियाँ और सन्नाटा

Nikhil अब पहले जैसा नहीं रहा था।
कॉलेज की भीड़ में भी वह अकेलापन महसूस करता।
Ananya की मौजूदगी उसे चुभने लगी।

हालांकि, वह जानता था कि Ananya ने उसे ठुकराया नहीं था।
उसने बस सच्चाई कही थी।
फिर भी, दिल का दर्द शांत नहीं हुआ।

हर दिन वह खुद से लड़ता।
क्लासरूम में नोट्स बनाने की बजाय उसकी आँखें अक्सर Ananya को ढूँढतीं।
लेकिन अब वह नज़रें मिलाने से बचती।

दरअसल, Nikhil की दुनिया टूट चुकी थी।
उसके दोस्त भी उसकी चुप्पी को समझ नहीं पाते थे।
घर पर फोन करने से वह कतराने लगा।

माँ पूछती – “बेटा, सब ठीक है न?”
Nikhil कह देता – “हाँ माँ, सब अच्छा है।”
लेकिन असलियत कुछ और थी।

वह समझ चुका था कि एकतरफा प्यार की कहानी सिर्फ़ इंतजार और दर्द देती है।
फिर भी, वह खुद को उससे अलग नहीं कर पा रहा था।


यादें और बेचैनी

Ananya कोशिश करती रही कि सब सामान्य हो।
वह कैंटीन में आकर मजाक करती।
कभी पढ़ाई को लेकर सवाल पूछती।

लेकिन Nikhil की हँसी अब खो चुकी थी।
उसके चेहरे पर बनावटी मुस्कान होती।
अंदर ही अंदर वह बिखरता जा रहा था।

रात में वह डायरी लिखता।
हर पन्ने पर Ananya का नाम दोहराता।
उसकी हँसी, उसकी बातें, उसकी किताबें – सब लिख डालता।

हालांकि, वह जानता था कि ये लिखना उसे और कमजोर बना रहा है।
फिर भी, कलम रुकती नहीं थी।
कभी डायरी को गले लगाकर सो जाता।

उसी दौरान परीक्षा नजदीक आ गई।
लेकिन पढ़ाई पर उसका ध्यान ही नहीं गया।
प्रश्नपत्र उसके लिए पहाड़ जैसा लगने लगा।

आखिरकार, नतीजे आए तो उसके अंक बहुत कम थे।
उसके पिता बेहद नाराज़ हुए।
फोन पर बोले – “Nikhil, हमें तुमसे उम्मीदें थीं। तुम क्या कर रहे हो?”

Nikhil चुप रह गया।
उसके पास कोई जवाब नहीं था।
दरअसल, दिल का दर्द अब जिंदगी पर हावी हो चुका था।


टूटन और गलत राह

धीरे-धीरे Nikhil गलत संगत में पड़ गया।
कॉलेज के कुछ लड़के उसे रात में शराब पिलाने ले जाते।
शुरुआत में उसने मना किया।

लेकिन एक दिन उसने बोतल हाथ में उठा ली।
सोचा – शायद दर्द कम हो जाए।
लेकिन सच में दर्द और गहरा हो गया।

अब उसकी आँखें लाल रहतीं।
क्लास में प्रोफेसर नाराज़ हो जाते।
कई बार उसे चेतावनी भी मिली।

Ananya ने यह सब नोटिस किया।
उसने एक दिन कहा –
“Nikhil, तुम बदल गए हो। ये रास्ता सही नहीं है।”

लेकिन Nikhil ने झूठा हँसकर कहा –
“कुछ नहीं हुआ, मैं ठीक हूँ।”
असल में वह टूट चुका था।

दरअसल, एकतरफा प्यार की कहानी में सबसे बड़ा जहर उम्मीद होती है।
Nikhil अब भी उम्मीद लगाए बैठा था।
शायद Ananya एक दिन उसे चाह ले।


हादसा और गहरी चोट

एक रात दोस्तों ने उसे ज्यादा शराब पिला दी।
वह सड़क पर लड़खड़ाते हुए गिर पड़ा।
गाड़ी से टकराने ही वाला था।

लेकिन राह चलते लोगों ने उसे बचा लिया।
सुबह आँख खुली तो अस्पताल का बिस्तर था।
डॉक्टर ने चेतावनी दी –
“तुम्हारा शरीर बर्बाद हो जाएगा।”

इस खबर से Ananya को धक्का लगा।
वह भागकर अस्पताल पहुँची।
Nikhil को देखकर उसकी आँखें भर आईं।

उसने हाथ पकड़कर कहा –
“Nikhil, तुम अपनी जिंदगी बर्बाद क्यों कर रहे हो?
क्या मेरी दोस्ती इतनी भी कमजोर थी?”

उसकी आवाज में दर्द था।
लेकिन Nikhil कुछ बोल न सका।
आँखों से आँसू बह निकले।

आखिरकार, वह समझ गया कि उसकी हालत ने सबको परेशान कर दिया है।
उसकी वजह से Ananya भी दुखी है।
यह एहसास उसके दिल में गहरी चोट कर गया।

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मोड़ और नई राह

अस्पताल से निकलने के बाद उसने आईने में खुद को देखा।
चेहरा कमजोर और आँखें थकी हुई थीं।
उसने सोचा – “क्या यही सपना लेकर आया था?”

दरअसल, वह Ananya का प्यार जीतना चाहता था।
लेकिन इस सफर में उसने खुद को खो दिया।
अब उसे खुद को पाना था।

उसने नशा छोड़ने का फैसला किया।
दोस्तों से दूरी बनाई।
लाइब्रेरी में बैठकर फिर से किताबों से रिश्ता जोड़ लिया।

Ananya अब भी उसकी दोस्त थी।
लेकिन Nikhil ने ठान लिया कि वह उससे और कुछ नहीं चाहेगा।
बस दोस्ती ही काफी है।

हालांकि, उसके दिल में एक कोना अब भी दर्द से भरा था।
कभी-कभी रातों में वह अब भी रोता।
लेकिन अब उसमें बदलाव आने लगा था।

उसने समझा –
“एकतरफा प्यार की कहानी” सिर्फ़ दर्द नहीं देती।
यह इंसान को मजबूत भी बनाती है।

नई शुरुआत और संघर्ष

Nikhil की जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी। उसने ठान लिया कि वह अब हार नहीं मानेगा।
वह सुबह जल्दी उठता और लाइब्रेरी में पढ़ाई करता। उसकी मेहनत धीरे-धीरे रंग लाने लगी।
क्लास में अब उसकी पहचान फिर से बनने लगी। टीचर भी उसके बदलाव को देखकर खुश होने लगे।
हालाँकि दिल के भीतर अभी भी तूफान था, पर चेहरे पर मजबूती का नकाब था।
उसने शराब और नशा छोड़ने का फैसला लिया। दोस्तों ने भी उसकी हिम्मत बढ़ाई।
फिर भी जब Ananya सामने आती, उसके दिल की धड़कन तेज हो जाती।
वह पास आकर भी दूर लगती। यह दूरी Nikhil के लिए सबसे कठिन थी।
वह हर पल खुद से कहता, “यह मेरी एकतरफा प्यार की कहानी है, इसे मुझे खुद झेलना होगा।”


दोस्ती की परीक्षा

समय बीतने लगा और Ananya भी बदलाव महसूस करने लगी।
उसने देखा कि Nikhil अब खुद को संभाल रहा है।
वह उसकी पढ़ाई की मदद करती, लेकिन साफ दूरी बनाए रखती।
Nikhil को लगने लगा कि वह उसे दोस्त से अधिक कभी नहीं पाएगा।
इसी बीच, Rahul नाम का एक नया लड़का उनकी क्लास में चमकने लगा।
Rahul टॉपर था, स्मार्ट था और सभी से मिलनसार भी।
धीरे-धीरे Ananya और Rahul की दोस्ती गहरी होती गई।
Nikhil सब देखता पर चुप रहता। वह बाहर से सामान्य दिखता, पर भीतर से टूटने लगता।
रात को जब अकेला होता, तो आंसू अपने आप निकल आते।
उसे समझ आ गया कि एकतरफा प्यार की कहानी हमेशा दर्द देती है।


करियर और सपनों की दौड़

कॉलेज का आखिरी साल सबसे मुश्किल था। प्लेसमेंट की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी।
हर छात्र अपने भविष्य के लिए मेहनत कर रहा था।
Rahul और Ananya दोनों को एक ही कंपनी से ऑफर मिल गया।
Nikhil ने भी उसी कंपनी का इंटरव्यू दिया।
उसने जी-जान लगाकर तैयारी की थी।
लेकिन रिजल्ट आने पर उसका नाम सूची में नहीं था।
वह हताश होकर रात भर जागता रहा।
उसे लगा कि किस्मत हर बार उसके खिलाफ खड़ी हो जाती है।
वह सोचने लगा, “शायद मेरी एकतरफा प्यार की कहानी के साथ मेरी करियर की कहानी भी अधूरी रह जाएगी।”
उसके भीतर निराशा का अंधेरा और गहरा होने लगा।


गहरा झटका

जल्द ही कॉलेज में चर्चाएँ फैल गईं।
सब कहते थे कि Ananya और Rahul अब एक रिश्ते में हैं।
यह सुनकर Nikhil का दिल जैसे रुक गया।
जिस लड़की के लिए उसने सबकुछ सहा, वह अब किसी और की हो गई थी।
उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया और कई दिनों तक बाहर नहीं निकला।
दोस्तों ने बहुत समझाया लेकिन वह किसी से बात नहीं करना चाहता था।
आखिरकार उसने शहर छोड़ने का फैसला लिया।
वह बैग पैक कर रहा था तभी माँ का फोन आया।
माँ बोलीं, “बेटा, तू चाहे हार जाए, पर घर मत छोड़ना। हमें तेरी जरूरत है।”
उन शब्दों ने उसकी आँखें खोल दीं।
उसे एहसास हुआ कि जीवन सिर्फ एकतरफा प्यार की कहानी तक सीमित नहीं है।


आत्मबोध और मोड़

Nikhil ने खुद से एक वादा किया।
अब वह न Ananya के पीछे भागेगा, न अपनी किस्मत को दोष देगा।
उसने पढ़ाई और करियर को फिर से प्राथमिकता दी।
धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाने लगी।
वह अपनी डायरी में रोज लिखता, अपनी भावनाएँ बयां करता।
एक रात उसने लिखा, “यह मेरी एकतरफा प्यार की कहानी थी। इसने मुझे तोड़ा भी और बनाया भी।”
उस पल उसे भीतर से सुकून मिला।
वह समझ गया कि प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं है।
कभी-कभी प्यार हमें खुद को समझने का सबक भी देता है।
कहानी यहीं से एक नए रास्ते की ओर मुड़ गई।

टूटा हुआ भरोसा

निकिल गाँव का होशियार लड़का था। वह शहर पढ़ने आया था। गाँव में उसकी इज्ज़त थी क्योंकि वह हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहता था। कक्षा में बैठते ही सब उसकी तरफ खिंच जाते थे। उसकी लंबाई पाँच फीट आठ इंच थी और चेहरा साफ नैन–नक्श वाला। हर कोई मानता था कि उसमें अलग सा आकर्षण था।

लेकिन दिल की गहराइयों में उसका राज़ कुछ और था। वह अपनी सहपाठी स्नेहा को चाहता था। शुरुआत में दोनों बहुत अच्छे दोस्त बने। स्नेहा हंसमुख लड़की थी। उसकी बातें सुनकर निकिल के दिल में हल्की सी खुशी दौड़ जाती थी। अक्सर वह अपनी कॉपी या पेन शेयर करती और कहती – “दोस्ती सबसे बड़ी ताकत है।”

निकिल उसे हर रोज़ देखता और मन ही मन सोचता कि काश वह भी स्नेहा की जिंदगी का खास हिस्सा बन जाए। परंतु दोस्ती और प्यार के बीच की दूरी उसे हमेशा डराती रही। कई बार उसने अपने दिल की बात कहने की ठानी, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाया।

धीरे–धीरे उसकी भावनाएँ और गहरी होती गईं। यह सच में एकतरफा प्यार की कहानी थी। वह जब भी देखता कि स्नेहा किसी और लड़के से हंस–हंसकर बातें कर रही है, उसका दिल टूट जाता। फिर भी वह कुछ कह नहीं पाता। बस मन ही मन जलता और चुपचाप सब देखता।


इज़हार और इंकार

आखिरकार एक दिन निकिल ने हिम्मत की। उसने स्नेहा को कैंटीन के बाहर बुलाया। चेहरे पर डर और आँखों में उम्मीद थी। बोला –
“स्नेहा… मैं बहुत दिनों से तुमसे कुछ कहना चाहता था। सच तो यह है कि मैं तुम्हें दोस्त से कहीं ज्यादा चाहता हूँ।”

स्नेहा कुछ देर चुप रही। फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली –
“निकिल, तुम बहुत अच्छे हो। पर मैं तुम्हें सिर्फ अपना दोस्त मानती हूँ। और दोस्ती मेरे लिए सबसे कीमती है।”

उसके ये शब्द निकिल के दिल पर पहाड़ की तरह गिरे। उसने उम्मीद की थी कि शायद स्नेहा भी वही महसूस करती होगी। लेकिन यह उसका भ्रम निकला।

उस दिन के बाद उसकी दुनिया बदल गई। रात को कमरे में अकेला बैठकर वह बहुत रोया। दर्द इतना गहरा था कि उसने शराब का सहारा ले लिया। धीरे–धीरे नशे की लत बढ़ती गई। पढ़ाई में उसका ध्यान कम हो गया। परीक्षा में अंक भी घटने लगे।

घर वालों को यह बदलाव खटकने लगा। माँ अक्सर फोन पर पूछती –
“बेटा, सब ठीक तो है न? तू पहले जैसा खुश क्यों नहीं दिखता?”
लेकिन निकिल झूठ बोल देता – “हाँ माँ, सब ठीक है।”

असल में वह ठीक नहीं था। यह एकतरफा प्यार की कहानी अब उसके जीवन को निगल रही थी।


दूरी और तन्हाई

अब कक्षा में निकिल सबसे अलग बैठने लगा। वह किसी से बात नहीं करता। स्नेहा जब पास आने की कोशिश करती, वह बहाना बनाकर निकल जाता। दोस्तों की महफ़िल से भी उसने दूरी बना ली।

स्नेहा ने भी इस बदलाव को महसूस किया। उसके मन में सवाल उठने लगे। क्या वह दोस्त खो रही है? क्या निकिल अब उसे नफरत की नज़रों से देखता है?

एक दिन उसकी रूममेट रिया ने उससे कहा –
“स्नेहा, तुम दोनों पहले कितने अच्छे दोस्त थे। तुम्हें याद है, तुम लोग घंटों बातें करते थे? अब अचानक क्यों दूरी बना ली?”

रिया की बातें स्नेहा के दिल को छू गईं। उसने सोचा, शायद उसने निकिल को बहुत आहत कर दिया। दोस्ती की डोर इतनी नाज़ुक कैसे हो सकती है?

वह निकिल के करीब जाने लगी। कैंपस में जब भी मिलती, मुस्कुराकर “हाय” कहती। कभी–कभी वह जानबूझकर उसकी मदद मांग लेती ताकि बातचीत हो सके।

धीरे–धीरे निकिल भी पिघलने लगा। उसे लगा कि स्नेहा अभी भी उसकी परवाह करती है। उसके अंदर का अकेलापन थोड़ा कम हुआ। यह बदलाव उसके लिए राहत की तरह था।


दोस्ती से प्यार तक

समय के साथ दोनों फिर से साथ आने लगे। पढ़ाई में एक–दूसरे का सहारा बनने लगे। निकिल ने शराब और नशा छोड़ने का फैसला किया। क्योंकि अब उसे जीने का कारण मिल गया था।

एक शाम लाइब्रेरी के बाहर बैठकर स्नेहा ने कहा –
“निकिल, मैं समझ गई हूँ कि तुम्हारी दोस्ती मेरे लिए कितनी जरूरी है। सच कहूँ तो जब तुम दूर हुए थे, मुझे बहुत खालीपन महसूस हुआ। तुम मेरे जीवन का हिस्सा हो।”

यह सुनकर निकिल की आँखों में चमक लौट आई। उसने सोचा कि शायद अब किस्मत बदल रही है। धीरे–धीरे उनके बीच का रिश्ता गहराता गया। हंसी–मज़ाक, पढ़ाई, और साथ बिताए लम्हें दोनों को और करीब लाने लगे।

अब यह सिर्फ दोस्ती नहीं रही थी। यह प्यार की शुरुआत थी। एक दिन स्नेहा ने भी स्वीकार किया –
“निकिल, शायद अब मैं भी तुम्हें सिर्फ दोस्त नहीं मानती। दिल मानने लगा है कि तुम मेरे लिए खास हो।”

उस पल निकिल का दिल भर आया। उसे लगा कि उसकी सारी मेहनत और दर्द रंग ला गया। उसकी एकतरफा प्यार की कहानी अब सच्चे प्यार में बदल रही थी।


अधूरा सच

लेकिन किस्मत हमेशा इंसान की उम्मीदों जैसी नहीं होती। जैसे ही दोनों करीब आए, स्नेहा के घर से शादी का दबाव आने लगा। परिवार वालों ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी।

स्नेहा असमंजस में पड़ गई। एक तरफ उसका नया मिला प्यार था। दूसरी तरफ परिवार की ज़िम्मेदारी और परंपरा। उसने निकिल से कहा –
“मैं तुमसे सच में प्यार करती हूँ। लेकिन घर वाले मेरी शादी तय कर चुके हैं। मुझे समझ नहीं आ रहा क्या करूँ।”

निकिल के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसने सोचा था कि उसका दर्द खत्म हो गया है। लेकिन किस्मत ने फिर उसे वहीं लाकर खड़ा कर दिया।

रात भर वह सोचता रहा। आखिरकार उसने खुद से कहा –
“शायद मेरी किस्मत में अधूरा प्यार ही लिखा है। यह मेरी एकतरफा प्यार की कहानी है, और इसे मुझे स्वीकार करना होगा।”

उसने स्नेहा को शुभकामनाएँ दीं और चुपचाप उसकी जिंदगी से दूर हो गया।

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