नशा और मोहब्बत – एक अधूरी कहानी

एक नशे की गिरफ्त में फंसी प्रतिभाशाली लेखिका और धोखे से उबर रहे युवा उद्यमी की भावनाओं, संघर्ष, नशा और मोहब्बत की कहानी। जानिए कैसे एक वेबसाइट, लाखों पाठकों का प्यार और एक अधूरी मोहब्बत सब कुछ बदल देती है।

अनाया – एक अधूरी उड़ान

दिल्ली की हलचल भरी गलियों में, भीड़ के बीच भी कभी-कभी इंसान अकेला रह जाता है।
अनाया मेहरा, 24 साल की, चेहरे पर मासूमियत और आँखों में एक अजीब सा दर्द लिए, एक छोटे से फ्लैट में अकेली रहती थी।
बाहर से देखने पर वो बस एक और लड़की लगती — कॉलेज की डिग्री ली, कुछ वक़्त जॉब भी की, लेकिन अंदर से वो टूटी हुई थी।

उसके बचपन की यादें अभी भी उसे सताती थीं।
पापा का गुस्सा, माँ का चुप रहना, और घर में हर दिन का झगड़ा।
स्कूल के दिनों में वो लिखने में बहुत अच्छी थी — कविताएँ, कहानियाँ, और डायरी के पन्नों पर उकेरे गए उसके ख़याल, सब में गहराई थी।
लेकिन कॉलेज में एक बुरी संगत ने उसे नशे की तरफ धकेल दिया।
शुरुआत सिगरेट से हुई, फिर शराब, और फिर… पाउडर की छोटी-सी पुड़िया उसकी रोज़ की ज़रूरत बन गई।

लिखने का टैलेंट उसके अंदर अब भी था, लेकिन नशे ने उसे सुस्त और बेमकसद बना दिया था।
कभी-कभी रात के तीन बजे, नशे में धुत होकर वो लैपटॉप खोलती, कुछ लिखने की कोशिश करती, लेकिन शब्द बिखर जाते।


कबीर – एक टूटा हुआ भरोसा

शहर के दूसरी तरफ, 28 साल का कबीर अरोड़ा भी अपने संघर्षों से जूझ रहा था।
कबीर पहले एक सफल बिज़नेसमैन था।
उसका और उसके बचपन के दोस्त का साथ में एक छोटा सा ई-कॉमर्स बिज़नेस था जो धीरे-धीरे करोड़ों का हो गया।
लेकिन जब पैसा और शोहरत आई, तो दोस्त ने ही उसे धोखा दे दिया।
एक दिन अकाउंट खाली था, कॉन्ट्रैक्ट फर्जी निकले, और कबीर का सब कुछ चला गया।

कबीर के पापा रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर थे — सख़्त, अनुशासनप्रिय, और भावुकता से दूर।
माँ का देहांत बचपन में ही हो चुका था।
धोखे के बाद पापा ने भी उसे “नालायक” कहकर घर से निकाल दिया।
कबीर के पास अब सिर्फ़ उसका लैपटॉप, कुछ पैसे, और एक सपना था — एक न्यूज़ और आर्टिकल वेबसाइट शुरू करने का।


पहली मुलाक़ात – स्क्रीन के पार

वेबसाइट शुरू करते ही कबीर को अच्छे राइटर्स की तलाश थी।
उसने कई फ्रीलांसिंग प्लेटफॉर्म पर जॉब पोस्ट की।
सैकड़ों लोगों में, एक प्रोफ़ाइल ने उसका ध्यान खींचा — “Anaya Writes – शब्द जो दिल छू जाएं”।

प्रोफ़ाइल पिक्चर में एक हल्की सी मुस्कान, लेकिन आँखों में गहराई।
उसके सैंपल आर्टिकल पढ़कर कबीर को लगा जैसे ये लड़की सिर्फ़ लिख नहीं रही, बल्कि जी रही है।
उसने तुरंत इंटरव्यू के लिए मैसेज किया।

पहली ऑनलाइन मीटिंग में, अनाया कैमरा ऑन करने से हिचकिचा रही थी।
“नेटवर्क स्लो है” — उसने बहाना बनाया, जबकि असल में वो नशा की हल्की हालत में थी और अपना चेहरा दिखाना नहीं चाहती थी।

कबीर ने उसके साथ एक आर्टिकल का ट्रायल किया — “बारिश और यादें”।
दो दिन बाद जब आर्टिकल वेबसाइट पर डाला गया, तो वो वायरल हो गया।
लोगों ने कमेंट में लिखा —
“ऐसा लगा जैसे कहानी नहीं, अपनी ज़िंदगी पढ़ रहे हों।”


दोस्ती से बढ़ता रिश्ता

कबीर और अनाया अब रोज़ बात करने लगे।
कभी आर्टिकल के बारे में, कभी ज़िंदगी के बारे में।
अनाया ने धीरे-धीरे अपनी कुछ बातें कबीर को बतानी शुरू कीं — बचपन का दर्द, टूटे रिश्ते, और अकेलापन।
लेकिन नशे वाली बात उसने छुपा ली।

कबीर को उसकी लिखावट से मोहब्बत होने लगी थी।
वो महसूस करता कि अगर ये लड़की अपने अंदर का दर्द कागज़ पर उतारती रही, तो उसकी वेबसाइट एक दिन देश की टॉप साइट बन जाएगी।


सपनों की उड़ान

दो महीने में अनाया के आर्टिकल्स से वेबसाइट के मासिक हिट्स 5 लाख से ऊपर चले गए।
क्लाइंट्स कबीर को विज्ञापन देने के लिए तैयार थे।
अनाया का नाम भी धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा।

एक दिन कबीर ने सोचा — “ये लड़की सिर्फ़ मोबाइल से काम करती है, क्यों ना मैं इसे एक अच्छा लैपटॉप दूँ ताकि और बेहतर लिख सके।”
उसने एक ब्रांड न्यू मैकबुक खरीदी और अनाया के घर देने चला गया।


पहला तूफ़ान

जब अनाया ने दरवाज़ा खोला, कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा —
“ये तुम्हारे लिए है… तुम्हारे शब्दों के लिए।”

लेकिन जैसे ही वो कमरे में दाख़िल हुआ, उसकी नज़र टेबल पर बिखरे ड्रग्स के सामान पर पड़ी — रोल किए हुए नोट, पाउडर की पुड़िया, एक छोटा सा चमच और लाइटर।
कबीर के चेहरे की मुस्कान गायब हो गई।

“ये सब क्या है, अनाया?” — उसकी आवाज़ भारी थी।
अनाया चौंकी, फिर हंसने की कोशिश करते हुए बोली —
“कुछ नहीं… बस थोड़ा रिलैक्स होने के लिए।”

कबीर ने गुस्से से कहा —
“रिलैक्स? तुम जानती हो ये तुम्हारी ज़िंदगी और टैलेंट दोनों खत्म कर देगा!”

पहली बार उनकी बहस इतनी तेज़ हुई।
अनाया ने पलटकर कहा —
“तुम मेरे लिखने के तरीके को समझते हो, लेकिन मेरी ज़िंदगी को नहीं।”

गुस्से और आंसुओं के बीच, अनाया ने दरवाज़ा खोला और चिल्लाई —
“जाओ यहाँ से!”

कबीर लैपटॉप वहीं रखकर चला गया।
उस रात अनाया ने घर छोड़ दिया… बिना बताए।

अनाया का गायब होना

उस रात के बाद अनाया ने अपना फोन बंद कर दिया।
कबीर ने अगले दिन कई बार कॉल किया, मैसेज किया —
“मैंने गुस्से में कहा था, लेकिन मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।”
कोई जवाब नहीं आया।

तीन दिन बाद उसने अनाया का घर जाकर देखा।
दरवाज़ा आधा खुला था, अंदर सन्नाटा।
कमरा बिखरा पड़ा था, कुछ कपड़े और पर्स गायब थे।
टेबल पर मैकबुक भी नहीं थी — वही जो कबीर ने उसे गिफ्ट की थी।

कबीर समझ गया कि वो चली गई है… शायद हमेशा के लिए।


वेबसाइट की गिरावट

अनाया के जाने के बाद वेबसाइट पर रोज़ाना का ट्रैफ़िक गिरने लगा।
जो आर्टिकल पहले हजारों शेयर होते थे, अब उन पर मुश्किल से कुछ लाइक आते।
कबीर ने दूसरे राइटर्स को मौका दिया, लेकिन कोई भी अनाया के शब्दों का जादू नहीं ला पाया।

विज्ञापन देने वाले कंपनियों ने भी हाथ खींचना शुरू कर दिया।
एक महीने में, वेबसाइट का रेवेन्यू आधा हो गया।
कबीर को अपने बचत से खर्च उठाना पड़ा।


कबीर का अकेलापन

कबीर के दोस्त पहले से ही कम थे, और अब वो पूरे दिन बस लैपटॉप के सामने बैठा रहता।
कभी पुरानी चैट खोलता, कभी अनाया के भेजे हुए आर्टिकल पढ़ता।
उसे महसूस होता, जैसे वो सिर्फ़ एक राइटर नहीं, बल्कि उसकी ज़िंदगी का वो हिस्सा थी, जिसे खोकर वो अधूरा हो गया है।

उसने कई बार खुद को समझाया —
“शायद ये अच्छा ही हुआ, ड्रग्स में फँसी हुई लड़की को बचाना मुश्किल होता है।”
लेकिन दिल मानने को तैयार नहीं था।


अनाया की खोज

एक दिन कबीर ने फैसला किया कि वो उसे ढूंढेगा।
उसने सोशल मीडिया पर उसकी प्रोफ़ाइल चेक की — कोई नई पोस्ट नहीं।
उसके कुछ पुराने दोस्तों को मैसेज किया — सबने कहा कि महीनों से कोई खबर नहीं है।

आखिरकार, कबीर को एक सुराग मिला —
उसके एक आर्टिकल के कमेंट में किसी ने लिखा था —
“तुम्हें फिर से गोवा में देखना अच्छा लगा, वही मुस्कान, वही आंखें।”

कबीर ने तुरंत बैग पैक किया और गोवा के लिए ट्रेन पकड़ी।


गोवा में तलाश

गोवा की गलियों में रंग, म्यूज़िक और आज़ादी का नशा था।
लेकिन कबीर का मन बस एक चीज़ ढूंढ रहा था — अनाया।
उसने बीच के पास के कैफ़े, हॉस्टल और म्यूज़िक बार चेक किए।
तीन दिन बाद, एक छोटे से कैफ़े में उसे एक आवाज़ सुनाई दी —
वही हंसी, जो उसने ऑनलाइन कॉल में सुनी थी।

वो पलटकर देखता है —
अनाया, रंग-बिरंगे कपड़ों में, बाल खुले, हाथ में बीयर, और दोस्तों के बीच बैठी।
लेकिन उसकी आँखों के नीचे काले घेरे और चेहरे पर थकान साफ़ झलक रही थी।


टकराव और सच्चाई

कबीर ने पास जाकर कहा —
“इतना छुपने के बाद… बस यहीं मिलनी थी तुम?”

अनाया चौंक गई, फिर बोली —
“कबीर… तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”

कबीर ने जवाब दिया —
“तुम्हें वापस लेने आया हूँ।
तुम्हारे शब्दों की दुनिया अभी खत्म नहीं हुई।”

अनाया ने हल्की हंसी में कहा —
“शब्द? अब वो भी बिक जाते हैं, कबीर।
और मैं… मैं अब वैसी नहीं रही।”

फिर उसने कबीर को सच बताया —
वो एक पुराने ड्रग डीलर के कर्ज में फँसी है।
अगर वो लिखकर कमाए पैसे वापस नहीं करती, तो उसकी जान खतरे में है।
वो गोवा आई थी, ताकि “फ्री” रह सके, लेकिन यहाँ भी वो उसी दलदल में धंस गई।


कबीर का फैसला

कबीर जानता था कि ये रास्ता मुश्किल है, लेकिन उसने ठान लिया कि वो अनाया को इससे बाहर निकालेगा।
उसने कहा —
“अगर तुम चाहो, तो हम मिलकर फिर से वेबसाइट शुरू करेंगे।
लेकिन ये नशा… इसे छोड़ना होगा।”

अनाया ने उसकी आँखों में देखा — उसमें गुस्सा नहीं, बस एक सच्चा डर और मोहब्बत थी।
शायद पहली बार, किसी ने उसे उसके ड्रग्स वाली पहचान से अलग देखा था।


पलटने की पहली कोशिश

अनाया कबीर के साथ चलने के लिए राज़ी तो हो गई, लेकिन एक शर्त के साथ —
“कबीर, मैं कोशिश करूंगी… लेकिन अगर मैं हार गई, तो प्लीज़ मुझे मजबूर मत करना।”

कबीर जानता था कि ये जंग आसान नहीं होगी।
उसने अनाया को गोवा से सीधे दिल्ली लाया।
उसके लिए एक छोटा सा रूम किराए पर लिया, जिसमें सिर्फ एक बेड, एक टेबल, और एक खिड़की थी।

कबीर ने उसका फोन ले लिया, सारे पुराने ड्रग्स वाले कॉन्टैक्ट्स डिलीट कर दिए।
वो हर सुबह उसे चाय बनाकर देता, और शाम को साथ बैठकर पुरानी कविताएँ पढ़ता।


रिहैब सेंटर (नशा मुक्ति केंद्र)का सफ़र

ड्रग्स छोड़ना सिर्फ़ इरादे की बात नहीं थी, शरीर भी उससे लड़ता है।
पहले हफ़्ते अनाया को तेज़ सिरदर्द, उल्टियाँ, और बेचैनी होती रही।
कबीर रात-रात जागकर उसके माथे पर ठंडा पानी रखता, और कहता —
“बस थोड़ा और सह लो, फिर सब ठीक होगा।”

कबीर ने उसे एक प्राइवेट रिहैब सेंटर में भी दाखिल कराया।
वहाँ के डॉक्टर ने कबीर को अलग ले जाकर कहा —
“देखिए, ये सिर्फ़ ड्रग्स नहीं छोड़ रही, बल्कि अपनी आदत, अपने पुराने लोगों, अपने पुराने माहौल को छोड़ रही है। इसमें वक्त लगेगा।”


दोबारा लिखने की शुरुआत

तीन महीने बाद, अनाया की तबीयत में सुधार आने लगा।
कबीर ने उसे फिर से लैपटॉप दिया और कहा —
“ये तुम्हारा हथियार है, इसे फिर से इस्तेमाल करो।”

अनाया ने हिचकते हुए टाइप करना शुरू किया।
पहला आर्टिकल था — “एक लड़की की वापसी”
उसमें उसने अपने ड्रग्स वाले दिनों का दर्द, खोए हुए सपनों की कसक, और कबीर की जिद का जिक्र किया।

जब वो आर्टिकल वेबसाइट पर गया, तो पहले ही हफ़्ते में उस पर 2 लाख से ज़्यादा व्यूज़ आए।
लोग कमेंट में लिख रहे थे —
“तुम्हारे शब्द दिल को छू जाते हैं।”
“तुम एक फाइटर हो।”


पुराना कर्ज और खतरा

लेकिन जिंदगी इतनी आसानी से नहीं बदलती।
एक दिन रिहैब से लौटते समय, एक काले SUV में तीन आदमी आकर कबीर और अनाया का रास्ता रोकते हैं।
उनमें से एक, जो ड्रग माफिया राकेश था, बोला —
“पैसे का क्या हुआ, मैडम राइटर?
गोवा से भाग जाने का मतलब ये नहीं कि हम भूल गए।”

कबीर ने बीच में आकर कहा —
“कितना है?”
राकेश ने मुस्कुराते हुए कहा —
“सिर्फ़ तीन लाख… वरना अगली बार बात करने का मौका नहीं मिलेगा।”


कबीर का बलिदान

उसके पास इतने पैसे नहीं थे, लेकिन उसने अपने बिज़नेस के सारे शेयर बेच दिए।
वो वेबसाइट, जो उसने अपने खून-पसीने से बनाई थी, अब किसी और के नाम हो गई।
पैसे लेकर उसने राकेश को दे दिए, और कहा —
“अब तुम इसकी जिंदगी से हमेशा के लिए निकल जाओ।”

अनाया ये देखकर रो पड़ी —
“तुमने… अपने सपने बेच दिए… सिर्फ़ मेरे लिए?”

कबीर ने मुस्कुराकर कहा —
“तुम ही तो मेरा सपना हो, अनाया।”


नई सुबह

छह महीने बाद, अनाया पूरी तरह से ड्रग्स से बाहर थी।
अब वो न सिर्फ़ अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी लिख रही थी।
उसके आर्टिकल्स में अब दर्द के साथ उम्मीद भी थी।
कबीर उसके साथ एक छोटा-सा ब्लॉग चला रहा था, जिसका नाम था — “नशा और मोहब्बत”

हर सुबह, वो खिड़की के पास बैठकर चाय पीते, और कबीर कहता —
“देखो, ज़िंदगी किसी किताब की तरह है…
कभी-कभी बीच के पन्ने फाड़ देने पड़ते हैं, ताकि नई कहानी शुरू हो सके।”

अनाया जवाब देती —
“और मेरी नई कहानी… तुम्हारे साथ शुरू हुई है।”

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