शेरू और नन्हा चूहा

शेरू और नन्हा चूहा

घने जंगल के बीचो-बीच एक बहुत बड़ा शेर रहता था। उसका नाम था शेरू। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे, क्योंकि उसकी दहाड़ इतनी तेज़ थी कि पेड़-पौधे तक काँप जाते। लेकिन शेरू केवल ताक़तवर ही नहीं था, बल्कि उसके दिल में करुणा भी थी।

शेरू के परिवार में उसकी शेरनी और दो नन्हे शावक रहते थे। शेरनी अक्सर बच्चों को सिखाती कि ताक़त का इस्तेमाल हमेशा अच्छे कामों में करना चाहिए। परंतु शावकों को अपने पिता की ताक़त पर बहुत घमंड था। वे सोचते कि उनके पापा सबसे मज़बूत हैं और उन्हें कभी किसी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

उसी जंगल में एक नन्हा चूहा भी रहता था। उसका नाम था चिंकी। चिंकी बहुत छोटा था और अक्सर बाकी चूहे उसका मज़ाक उड़ाते। वे कहते –
“अरे चिंकी, तू तो इतना छोटा है कि पत्ते पर बैठा तो हवा ही उड़ा ले जाएगी!”

लेकिन चिंकी का दिल बहुत बहादुर था। वह हमेशा सोचता –
“अगर मैं छोटा हूँ तो क्या हुआ, किसी दिन मैं भी कुछ बड़ा करूँगा।”


💤 पहली मुलाक़ात

एक दिन की बात है। शेरू शिकार करके थक गया और एक पुराने बरगद के पेड़ के नीचे सो गया। उसकी साँसों की आवाज़ भी इतनी गहरी थी कि लगता जैसे पहाड़ गूंज रहे हों।

उसी समय चिंकी खेलते-खेलते इधर-उधर भाग रहा था। उसे पता ही नहीं चला और वो सीधे शेरू की पीठ पर चढ़ गया। अचानक शेरू की नींद खुल गई। उसने गुस्से में चिंकी को अपने पंजे में दबोच लिया।

“कौन है जिसने मेरी नींद खराब की?” शेरू दहाड़ा।

चिंकी काँपते हुए बोला –
“म… महाराज! मैं गलती से आपके ऊपर चढ़ गया। मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं छोटा ज़रूर हूँ, लेकिन कभी न कभी मैं आपकी मदद ज़रूर करूँगा।”

शेरू ज़ोर से हँस पड़ा।
“हा हा हा! तू? मेरी मदद करेगा? तू तो इतना छोटा है कि मैं एक पंजे से तुझे खत्म कर सकता हूँ।”

लेकिन शेरू के दिल में दया थी। उसने चिंकी को छोड़ दिया और कहा –
“जाओ, आज के लिए माफ़ किया।”


🎯 शिकारी का जाल

कुछ दिन बाद जंगल में हलचल मच गई। बाहर से कुछ शिकारी आए और उन्होंने शेर को पकड़ने के लिए बड़ा और मज़बूत जाल बिछा दिया।

शेरू उस समय अपने बच्चों को शिकार करना सिखा रहा था। अचानक वह जाल में फँस गया। जैसे ही उसने बाहर निकलने की कोशिश की, रस्सियाँ और कस गईं। शेरू ने पूरी ताक़त लगाई, लेकिन जाल इतना मज़बूत था कि वह बाहर नहीं निकल सका।

उसने जोर-जोर से दहाड़ लगाई। उसकी आवाज़ पूरे जंगल में गूँज गई। हिरण, बंदर, तोता सब डरकर पेड़ों पर छिप गए।

लेकिन चिंकी ने जैसे ही यह आवाज़ सुनी, वह तुरंत दौड़ा।


🦷 छोटे दाँतों की ताक़त

चिंकी ने देखा कि उसका बड़ा दोस्त शेरू जाल में फँसा हुआ है। वह हिम्मत जुटाकर बोला –
“महाराज! चिंता मत कीजिए। आज मैं अपनी बात साबित करूँगा।”

शेरू ने थकी हुई आवाज़ में कहा –
“लेकिन चिंकी… यह रस्सियाँ बहुत मज़बूत हैं। तुझे चोट लग जाएगी।”

चिंकी मुस्कुराया –
“आपने कहा था कि मैं छोटा हूँ। आज मैं आपको दिखाऊँगा कि छोटा भी बड़ा काम कर सकता है।”

फिर उसने अपने नुकीले दाँतों से रस्सी कुतरना शुरू किया। एक-एक कर कई रस्सियाँ टूट गईं। सूरज ढलने तक चिंकी ने पूरा जाल काट दिया।

जैसे ही शेरू आज़ाद हुआ, उसकी आँखों में खुशी के आँसू थे। उसने चिंकी को अपने पंजों में उठा लिया और कहा –
“आज तूने साबित कर दिया कि किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिए।”


🥳 दोस्ती का जश्न

उस दिन से शेरू और चिंकी की दोस्ती पूरे जंगल में मशहूर हो गई। बंदर, हाथी और हिरण सबने सीखा कि ताक़त केवल शरीर की नहीं होती, बल्कि हिम्मत और बुद्धि की भी होती है।

शेरू के बच्चे भी अब समझ गए थे कि हमें कभी किसी को नीचा नहीं समझना चाहिए।

चिंकी भी खुश था। वह अब सिर्फ़ एक छोटा चूहा नहीं, बल्कि जंगल का हीरो बन गया था।

🌟 सीख (Moral of the story)

कभी भी किसी को छोटा मत समझो। हर किसी की अपनी ताक़त और महत्ता होती है।

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