
एक छोटे से गाँव में राजू नाम का बच्चा रहता था। राजू का दिल तो बहुत बड़ा था, पर उसके पैरों में कमजोरी थी। वह दूसरों की तरह भाग नहीं पाता था। गाँव के बच्चे खेलते, कूदते, पतंग उड़ाते, और राजू दूर से बैठकर उन्हें देखता।
कभी-कभी वह मन ही मन सोचता –
“काश! मैं भी इनके साथ दौड़ पाता, आसमान छू पाता।”
लेकिन यह सपना उसके दिल में ही रह जाता।
गाँव के बाहर एक पेड़ पर एक नन्ही गौरैया रहती थी। उसका नाम था गुड़िया। गुड़िया बहुत प्यारी और चंचल थी। वह राजू की उदासी समझ जाती और हर रोज़ उसके पास चहचहाते हुए आती। धीरे-धीरे राजू और गुड़िया में गहरी दोस्ती हो गई।
🌧️ तूफ़ान और उम्मीद
एक दिन गाँव में भयंकर तूफ़ान आया। हवाएँ इतनी तेज़ चलीं कि कई पेड़ टूट गए। गुड़िया का छोटा-सा घोंसला भी गिर गया। डरी-सहमी गुड़िया ने राजू की खिड़की में आकर शरण ली।
राजू ने उसे अपनी हथेलियों में उठा लिया और बोला –
“डर मत, जब तक मैं हूँ तुझे कुछ नहीं होगा।”
उस रात गुड़िया ने महसूस किया कि दोस्ती की असली ताक़त यही है — एक-दूसरे का सहारा।
🪁 पतंग का सपना
कुछ हफ्तों बाद गाँव में मकर संक्रांति का त्योहार आया। आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर गया। राजू के दोस्तों ने उसे चिढ़ाते हुए कहा –
“अरे राजू! तू पतंग कैसे उड़ाएगा? तू तो ठीक से दौड़ भी नहीं पाता।”
राजू उदास हो गया, लेकिन गुड़िया ने उसके कान में चहचहाकर कहा –
“हिम्मत मत हार। मैं तेरे साथ हूँ।”
राजू ने काँपते हाथों से छोटी-सी पतंग उड़ाने की कोशिश की, पर पतंग ऊपर नहीं जा पा रही थी। तभी गुड़िया ने अपने पंख फैलाए और पतंग के धागे के पास उड़कर उसे ऊपर की ओर धकेलने लगी।
धीरे-धीरे पतंग ऊँचाई पर जाने लगी। बच्चे तालियाँ बजाने लगे। राजू की आँखों में चमक आ गई। उसने खुशी से कहा –
“देखो! मेरी पतंग सबसे ऊँची उड़ रही है।”
गुड़िया आसमान में पतंग के साथ उड़ रही थी। उस पल राजू और गुड़िया दोनों ने महसूस किया कि उनके सपने सच हो गए।
🌟 सीख (Moral of the story)
सच्ची दोस्ती और हिम्मत से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। चाहे हालात जैसे भी हों, अगर दिल में विश्वास है तो उड़ान ज़रूर मिलती है।
ऐसी और कहानी पढ़ने के लिए क्लिक करें